भगवान शिव के 11वें अवतार हैं बजरंगबली
हनुमान जी मां एक अप्सरा थी लेकिन एक ऋषि ने उनकी मां अंजना को श्राप दिया था कि वह जब भी किसी से प्रेम करेंगी तो उनका मुंह वानर के समान हो जाएगा। तब उन्होंने भगवान ब्रह्मा से इस श्राप से मुक्ति के लिए प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म लेने का रास्ता बताया और तब अंजना वानरों के राजा केसरी के साथ प्रेम करने लगी और दोनों ने शादी कर ली।
हनुमान का अर्थ होता है विकृत जबड़ा
संस्कृत हनु का अर्थ है जबड़ा और मान का अर्थ है विकृत। हनुमानजी ने एक बार सूर्य को फल समझकर खा लिया था तब क्रोधित होकर भगवान इन्द्र ने बालक मारुति पर वज्र से प्रहार कर दिया जिससे उनका जबड़ा टूट गया था और वे मूर्छित हो गए तब से उनका नाम हनुमान भी पड़ गया।
ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र भी थे
हनुमान जी ब्रह्मचारी थे लेकिन उनका एक पुत्र भी था मकरध्वज। मकरध्वज का जन्म मछली के पेट से हुआ था। बताया जाता है कि जब हनुमानजी पूरी लंका को जला कर समुद्र में अपनी पूंछ की आग बुझाने गए तब उनके पसीने को एक मछली ने निगल लिया था और इसी पसीने से मकरध्वज का जन्म हुआ था।
गंधमादन पर्वत
कहते हैं कि हनुमानजी नेपाल तिब्बत सीमा पर स्थित गंधमादन पर्वत पर रहते हैं और वे वहां पर रहते हैं जहां पर रामायण का पाठ होता है। जगन्नाथ पुरी की रक्षार्थ वे वहां पर भी विराजमान हैं।
भगवान राम ने हनुमानजी को दी थी मौत की सजा
एक दंतकथा के अनुसार एक बार नारदजी के कहने पर हनुमानजी ने विश्वामित्र को छोड़कर सभी संतों का स्वागत किया,लेकिन उनका नहीं। यह देख विश्वामित्र काफी नाराज हुए और उन्होंने भगवान राम से हनुमानजी को मृत्युदंड देने के लिए कहा। विश्वामित्र भगवान के गुरू थे इसलिए वह उनकी बात को टाल नहीं सकते थे, तब उन्होंने हनुमानजी पर वाणों की बौछार कर दी l यह देख हनुमानजी तुरंत श्रीराम का नाम जपने लगे और सभी बाण वहां से लौट गए। तब यह देखकर भगवान ने ब्रह्मास्त्र चला दिया लेकिन ब्रह्मास्त्र भी ध्यानमग्न हनुमानजी की प्रदक्षिणा कर वापस लौट आया। इसके बाद विश्वामित्र भी भगवान के सामने नतमस्तक हो गए।
हनुमानजी और माता सीता का उपहार
भगवान राम के राज्याभिषेक के बाद देवी सीता ने सभी लोगों को उपहार दिया और हनुमानजी को एक मोती का हार उपहार मे दिया, लेकिन हनुमानजी में उस हार के हरेक मोती को तोड़कर उसमें भगवान राम की छवि खोजने लगे। जब वे भगवान राम को उसमें नहीं पा सके तो उन्होंने बोला वो इस उपहार का क्या करेंगे।
इसलिए कहे गए बजरंगबली
एक बार हनुमानजी ने देवी सीता से पूछ कि वह वह सिंदूर क्यों लगाती है? तब सीता जी ने बताया कि, भगवान श्रीराम उनके पति हैं और उनकी रक्षा और लंबी आयु के लिए वह सिंदूर लगाती हैं। यह सुनकर हनुमानजी ने सोचा कि यदि देवी सीता जी इतना जरा सा सिंदूर लगा कर भगवान की उम्र बढ़ा सकती है तो वह क्यों न पूरे शरीर में इसे उनके नाम पर लगा लें और उन्होंने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। क्योंकि सिंदूर को बजरंग भी कहा जाता है इसलिए उन्हें बजरंगबली कहा जाने लगा और उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता हैl
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जय श्री राम || 🏹🚩
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