श्रीराम का जन्म
रामचरितमानस के बालकांड के अनुसार पुत्र की कामना के चलते राजा दशरथ के कहने पर वशिष्ठजी ने श्रृंगी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। इस यज्ञ के बाद कौसल्या आदि प्रिय रानियों को एक-एक फल खाने पर पुत्र की प्राप्त हुई।
पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। परंतु आधुनिक शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था। यानी आज से 7136 वर्ष पूर्व उनका जन्म हुआ था।
दोपहर के 12.05 पर भगवान राम का जन्म हुआ था। उस समय भगवान का प्रिय अभिजित् मुहूर्त था। तब न बहुत सर्दी थी, न धूप थी।
वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था। इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।
श्री राम का जन्म भारतवर्ष में सरयू नदी के पास स्थित अयोध्या नगरी में एक महल में हुआ था। अयोध्या को सप्त पुरियों में प्रथम माना गया है।
वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था। जन्म होते ही जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गए। शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रहा था। देवता हर्षित थे और संतों के मन में चाव था। वन फूले हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियां अमृत की धारा बहा रही थीं।
जन्म लेते ही ब्रह्माजी समेत सारे देवता विमान सजा-सजाकर पहुंचे। निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया। गंधर्वों के दल गुणों का गान करने लगे। सभी देवाता राम लला को देखने पहुंचे।
क्या करते हैं रामनवमी के दिन
इस दिन रामायण का पाठ करते हैं। रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं। कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित कर पालने में झुलाते हैं। कई जगहों पर पालकी या शोभायात्रा निकाली जाती है। अयोध्या में राज जन्मोत्सव का भव्य आयोजन होता है।
रामनवमी की सरल पूजा विधि
1. रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर प्रभु श्री राम के बालरूप की पूजा की जाती है।
2: बालक रामलला को झुले में विराजमान करके, झुले को सजाया जाता है और दिन में 12 बजे के आसपास उनकी पूजा की जाती है।
3. ताबें के कलश में आम के पत्ते, नरियल, पान आदि रखकर चावल का ढेर पर कलश स्थापित करते हैं और उस के आसपास चौमुखी दीपक जलाते हैं।
4. फिर श्री राम को खीर, फल, मिष्ठान, पंचामृत, कमल, तुलसी और फूल माला अर्पित करते हैं।
5. नैवद्य अर्पित करने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं।
6. इस दिन पंचामृत के साथ ही पीसे हुए धनिये में गुड़ या शक्कर मिलाकर प्रसाद बनाकर बांटते हैं।
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जय श्री राम || 🏹🚩
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