श्री हनुमान जी वानरराज केसरी के क्षेत्रज व पवन देवता के औरस पुत्र माने गए हैं।
शूर्पणखा के पति विद्युज्जीही को रावण द्वारा मारे जाने पर शूर्पणखा ने रावण को मन ही मन यह श्राप दिया था की उसकी मृत्यु एक स्त्री की वजह से होगी।
राम, लक्ष्मण, भरत एवं शतुघन चार भाई थे और उनकी एक बड़ी बहन भी थी जिनका नाम शांता था। राजा द्रोपद की कोई संतान नहीं थी, राजा दशरथ ने अपनी पुत्री शांता का उन्हें गोद दे दिया था।
एक बार सीता जी सिंदूर लगा रही थी जब हनुमान जी ने देखा तो पूछा माते आप सिंदूर क्यों लगाती हैं। सीता जी बोली यह में प्रभु श्री राम जी की लम्बी उम्र की लिए लगाती हूँ। फिर क्या था हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया। तभी से उन्हें सिंदूर चढायां जाता है और इसी लिए उन्हें बजरंगबली कहा जाता है।
गन्धर्व राज शैलूष की पुत्री सरमा, श्री रामराज राक्षसराज विभीषण की धर्मपत्नी थी। वह सीता जी की अशोक वाटिका में सेवा किया करती थी।
वीर वानरराज अंगत के पिता बानरराज बाली की पत्नी तारा विश्व के प्रत्येक जीव मात्र की भाषा समझ व् बोल सकती थी।
जब रावण सीता जी को उठाकर ले गया था उसके 10 महीने बाद रामचंद्र जी की भेंट हुनमान जी से हुई थी।
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जय श्री राम || 🏹🚩
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